अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 29 जुलाई पर विशेष
अवनीश सोमकुंवर
नमस्कार, हमारे चैनल के खास कार्यक्रम ‘जंगल की बात’ में आपका स्वागत है। दर्शको, आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत से मिलवाने जा रहे हैं जो हमेशा चर्चा में रहते हैं। वैसे ये अपने ठिकाने से बाहर बहुत कम निकलते हैं लेकिन इन दिनों ये राजधानी दिल्ली में हैं। हम खुशनसीब हैं कि इतनी बड़ी शख्सियत ने सिर्फ और सिर्फ हमारे चैनल को ही एक्सक्लूसिव इंटरव्यू देने की रजामंदी दी है। इनसे मिलना और बात करना हमारे लिये बहुत फख्र की बात है, क्योंकि ये ऐसी शख्सियत हैं जिन्हें कोई अकेले में देख ले तो उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो जाती है। तो आइये हम बात करते हैं शेर खान ‘शेर’ से और पूछते हैं उनसे मौजूदा हालात पर कुछ खास सवाल।
सवाल– आप कब से दिल्ली में है? क्या भाभी जी और बच्चे भी साथ हैं?
शेर खान– फिलहाल अकेला आया हूं। जंगल में बेदखली की मार झेल रहा हूं। पढ़ने में आया कि संसद में जोर-शोर से मुझे बचाने को लेकर चिंता हो रही है। इसलिए चला आया।
सवाल– आपको किससे खतरा है?
शेर खान- देखिए सबसे बड़ा खतरा तो मुझे कमबख्त चीन से है। यदि मैं इनके हाथ लग जाऊं तो मेरी एक एक चीज नोच लेंगे। दवाई बना डालेंगे। ये सोचते हैं कमबख्त कि मुझे मारकर मेरी तरह बन जाएंगे। अब इनकी निगाह गधों पर भी पड़ गई है। सांप, बिच्छू, केकड़े ऑक्टोपस से डरना तो इन्होंने कभी का छोड़ दिया था।
सवाल– और किससे आप खतरा महसूस करते हैं?
शेर खान- देखिए बुरा मत मानना। तुम लोग भी कम खतरनाक नहीं हो। वो एक चैनल है तुम्हारा जात भाई। तुम तो सिर्फ न्यूज़ दिखा के रह जाते हो और वह कमबख्त डिस्कवरी छुप–छुप के हमारे पीछे पड़ा रहता है। सोना, उठना, बैठना मुश्किल हो गया है। रात भर जागता हूं कि कैमरा लगा दिया होगा। तुम्हारी भाभी कहती है कि कितने साल हो गए। सिर्फ दो ही बच्चे हैं। कौन नाम लेगा तुम्हारा। यह मेरा दुश्मन है। उठते–बैठते, शिकार करते, आराम करते, सोते हर वक्त इस चैनल के आदमी आस-पास रहते हैं। मैं पूछता हूं कि और कितना दिखाओगे हमें।
सवाल– ये लोग आप से डरते नहीं क्या?
शेर खान- अरे साहब बहुत बदतमीज हैं। दर्जनों चड्डियाँ लेकर चलते हैं। कैमरे से नहीं हटते कमबख्त। कहते हैं कि एक एक शॉट के लिए जान दे देंगे। अब चैनल की नौकरी करते हैं बेचारे। रहम भी आता है इन पर। पहले तो हम दहाड़ लगा देते थे। इनकी टट्टी पेशाब निकल आती थी। फिर महीनों नहीं फटकते थे। अब तो दहाड़ लगाने के लिए मुंह खोलने की देर है पूरा कैमरा लगा देते हैं। दांत, जीभ, जबड़े, गला सब देखने की कोशिश करते हैं।
सवाल- अच्छा छोड़िये। हमारे दर्शकों को यह बताइए कि आपके जीवन में सबसे सुखद, दुखद और आश्चर्यजनक समय कौन सा रहा?
शेर खान- देखिए मुझे सबसे ज्यादा दुख तब हुआ जब कमबख्त इंसान ने बीड़ी जैसी चीज पर मेरा फोटो लगा दिया और बड़ी बेशर्मी से कहना शुरू किया है कि शेर छाप बीड़ी पियो और शेर जैसा बन जाओगे। मुझे बहुत शर्मिंदगी होती है शेर बीड़ी को देखकर। जहाँ तक खुशी का सवाल है मुझे सबसे ज्यादा खुशी तब हुई जब सरकार ने कहा कि शेरों को बचाने की मुहिम चलेगी। हालांकि कई दिनों तक नहीं बताया हमें किससे बचाना है।
सबसे आश्चर्यजनक दिन मेरे लिए वह था जब पिछले साल आपकी तरह के बड़े चैनल पर बड़े-बड़े विशेषज्ञ जोर जोर से मेरे बारे में चर्चा कर रहे थे। मैं भी कुछ कहना चाहता था इसलिए दो मिनट के लिए स्टूडियो में आ गया था।
सवाल– अच्छा फिर क्या हुआ था? आप अपनी बात कह पाए?
शेर खान- अरे बोलने का मौका ही नहीं मिला। पूरा स्टूडियो खाली हो गया। अफरा–तफरी मच गई। कोई टेबल के नीचे, कोई बाथरूम में घुस गया। कैमरामैन सामने पड़ गया। कह रहा था उसकी कोई गलती नहीं है। छोटे-छोटे बच्चे हैं। जाने दो। फिर वो एंकर लड़की जोर जोर से रोने लगी। कह रही थी अभी अभी मंगनी हुई है। पूरा कॅरियर है सामने। अब तो सरकार भी कह रही है बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। जब बचूंगी तभी तो पढूंगी प्लीज। मेरी समझ नहीं आया। बाजू मुड़ा तो कांच के केबिन में एक्सपर्ट घुसा था। कांपते हुए एकटक मुझे देख रहा था। मैंने मिर्ज़ा शौक का अपना पसंदीदा शेर पढ़ दिया– देख लो आज हमको जी भर के, कोई आता नहीं फिर मर के। सुनते ही बेहोश हो गया। फिर मैं घबराकर लौट गया। बाद में एक दिन और दूसरे चैनल पर वैसी ही बहसबाजी चल रही थी। फिर पुराना वाकया याद करते मैंने अनसुना कर दिया। मन की बात मन में ही है। जैसे तुम लोगो की रह जाती है। एक और बड़ी अजीब बात सुनता हूं तो और ज्यादा आश्चर्य होने लगता है। मां दुर्गा से प्रार्थना करता हूं कि ऐसा काम मुझसे न करवाए कभी।
सवाल– ऐसी कौन सी बात सुन ली आपने?
शेर खान- अरे तुम नहीं सुनी क्या? आपके पंजाब से आई है। बात बात में कहते है तू शेर दा पुत्तर है। मालूम है इससे कई घर बर्बाद हो गए।
सवाल– आखिर आपकी परेशानी क्या है?
शेर खान- अरे हमारी कोई परेशानी नहीं है यार। सब परेशानी इंसान की है। जब देखो जंगल की तरफ भटकता रहता है। कैफ़ी आज़मी साहब कह गए “इंसान की ख्वाहिशों की कोई इंतहा नहीं, दो गज जमीन चाहिए दो गज कफन के बाद।‘’ सरकारों ने इतनी आवास योजनाएं बना दी है फिर भी जंगल में घुसना नहीं छोड़ता। तुम भी अपने चैनल के जरिए समझाओ इसे और सरकार को भी।
सवाल– अच्छा आगे बढ़ते हैं अगले सवाल पर आजकल आप क्या लिख पढ़ रहे हैं?
शेर खान- अरे बड़ा अजीब सवाल किया आपने। देखिए आपका पूरा इंटरव्यू बिगड़ जाएगा। दहाड़ मारने का मन कर रहा है, लेकिन मन मार कर हम जवाब दे रहे हैं।
सवाल– हां आप तो अपनी बात जारी रखें…
शेर खान- मैं सिर्फ यह कह रहा था कि हम पढ़े लिखे नहीं हैं लेकिन हर पढ़ा लिखा आदमी हमारा नाम लेता है। हमारे ऊपर करोड़ों लोग किताबें लिख चुके हैं और करोड़ों लोग लखपति बन गए हैं। करोड़ों लोगों ने फिल्में बनाईं। हमने कुछ नहीं कहा। एक आदमी ने तो हमको आदमखोर भी घोषित कर दिया और किताब लिख ‘दी मैन ईटर्स ऑफ कुमाऊं’ इसे ज्यादा लोगों ने नहीं पढ़ा, नहीं तो हमारे इतने करीब नहीं आ पाते।
एक और जमात है पढ़े लिखों की। उर्दू शायरों की जमात। एक जगह पर इकट्ठा हो जाते हैं। एक माइक पकड़ लेता है कई लोग सामने बैठे रहते हैं। फिर एक शायर आता है। कहता है है एक शेर अर्ज करता हूं। कभी कहता ताजा शेर है सुनें। सोच रहा हूँ होने दो मुशायरा मैं खुद अर्ज हो जाता हूं और फिर कहूँगा कि सुनाओ ताजा ग़ज़ल।
सवाल– अरे आप गुस्सा मत हों जाने दो, इनसे कोई खतरा नहीं है आपको।
शेर खान- अच्छा अच्छा ठीक है। लेकिन ये भी तो आखिर इंसान ही हैं। इनसे भी किसी को खतरा तो होगा ही। चलो छोड़ो अगला सवाल पूछो।
सवाल– आपने सुना होगा कि शेरों की संख्या अपने भारत में बढ़ गई है। पहले कर्नाटक टाइगर स्टेट था, अब मध्य प्रदेश फिर से टाइगर स्टेट हो गया है। इस बारे में क्या कहना है?
शेर खान- देखो भाई सीधी बात है। कौन हमारी गिनती करता है? कैसे करता है? कौन रिपोर्ट बनाता है? किसके लिए बनाता है? क्यों बनाता है? इसके पैसे कहां से आते हैं? हम तो एक ही बात जानते हैं कि यदि हम को जंगल में चैन से रहने दोगे तो हमारी इतनी संतानें हो जाएंगी कि इंसान को भी उनसे साथ मिलकर रहना पड़ेगा।