फॉदर्स डे पर एक कविता- पिता नहीं परम पिता

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पिता नहीं परम पिता
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मै कल पिता था
इससे पहले मेरे भी थे पिता
अब मै परमपिता हूं
यानि अपने बच्चों के बच्चों का
परम पिता
मेरे पिता भी इसी तरह
रहे परमपिता
हर पिता बाद में
बनता ही है परमपिता
अर्थात……
कभी नहीं मरता कोई पिता
पिता, पुनर्जन्म लेता है बार-बार
इसी से चलता आ रहा है संसार
मेरे पिता कभी नहीं मरे
वे मुझसे होते हुए
अवतरित होते हैं
बच्चों में
बच्चों के बच्चों में
पिता संस्था हैं/परंपरा हैं
पिता ईश्वर हैं

@राकेश अचल की फेसबुक वॉल से

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