भोपाल, अगस्त 2014/ मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश की हिंसा की शिकार और सामाजिक कुरीतियों से पीड़ित महिलाओं को ताकत देने के लिये शौर्या दल बनाकर महिलाओं के पक्ष में एक बेहतर वातावरण बनाया है। एक साल पूर्व शौर्या दल का गठन पायलेट प्रोजेक्ट में मण्डला, डिण्डोरी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना और बालाघाट में किया गया। इन जिलों में शौर्या दल ने बेहतर परिणाम हासिल किये। अब प्रदेश के 14 जिले भोपाल, सीहोर, राजगढ़, रायसेन, विदिशा, बैतूल, होशंगाबाद, जबलपुर, उज्जैन, देवास, मुरैना, ग्वालियर, सागर एवं इंदौर में शौर्या दल का गठन किया जा रहा है।
पायलेट प्रोजेक्ट में लिये गये 6 जिले में 2620 शौर्या दल का गठन हुआ। इनके 26 हजार से अधिक महिला-पुरुष सदस्य बने। इन 6 जिले में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये जो काम हुआ उसके परिणाम ने समाज में एक नई फिजा बनाई। टीकमगढ़ में टैक्सी चालकों के आंतक के खिलाफ श्रीमती शकुन्तला मिश्रा ने आवाज उठायी। वे ग्राम असाटी के शौर्या दल की सदस्य हैं। इस गाँव में टैक्सी चालक अपने वाहन के अलावा किसी और निजी वाहन का उपयोग नहीं होने देते थे। शकुन्तला मिश्रा जब एक निजी वाहन से अपने गाँव सामान ले जा रही थीं, तो इन टैक्सी चालकों ने उसे रोका। श्रीमती मिश्रा ने इसका प्रतिरोध किया। उन्होंने संबंधित थाने पहुँचकर इसकी शिकायत दर्ज करवाई। परिणामस्वरूप टैक्सी चालकों ने माफी माँग कर भविष्य में ऐसा नहीं करने का वचन दिया। यही नहीं बालाघाट जिले के ग्राम चिखला बाँध की शौर्या दल की सदस्यों ने मिलकर अपने गाँव के मुख्य व्यवसाय शराब बनाने पर रोक लगाई। शौर्या दल के पुरजोर विरोध का परिणाम यह हुआ कि अब गाँव में शराब बनाना, बेचना और खरीदना प्रतिबंधित कर दिया गया। टीकमगढ़ जिले के ग्राम सेंदरी में प्रेम विवाह करने के बाद अपने परिवार से निर्वासित कर दिये गये बहू-बेटे को शौर्या दल ने मध्यस्थता कर वापस उन्हें अपने परिवार से मिलवाया। डिण्डोरी, छतरपुर, मण्डला जिले के गाँव में शौर्या दल की सक्रियता के कई उदाहरण सामने आये, जिसने इसके गठन की सार्थकता को सिद्ध किया है। इन्हीं बेहतर परिणामों को देखते हुए अब राज्य सरकार 14 जिले में शौर्या दल का गठन करने जा रहा है।
शौर्या दल ने महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचारों का विरोध किया, सामाजिक बुराइयों को दूर किया। साथ ही महिलाओं को सक्षम बनाने के लिये सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का भी लाभ दिलवाया। लड़का-लड़की में भेद न हो इसके लिये जागरूकता अभियान चलाया और वे इसे समझाने में सफल भी रहे।
शौर्या दल का मुख्य उद्देश्य महिला एवं बच्चों से संबंधी मुद्दों पर जन-सामान्य को संवेदनशील बनाने के साथ उनके विरुद्ध हिंसा में कमी लाना और समाज को जागरूक करना है। इसके साथ ही सामाजिक कुरीतियों जैसे बाल विवाह, दहेज प्रथा और लैंगिक भेदभाव को कम करना है। महिलाओं एवं बालिकाओं से संबंधित अधिकारों के बारे में समाज को जागरूक करना और उनकी सहभागिता से हिंसा संबंधी मुद्दों का निराकरण करवाना है। इसके साथ ही सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ महिलाओं और बालिकाओं को मिले, इसके लिये प्रयास करना है।