भोपाल, एजेंसीः नेशनल जियोग्राफिक’ पत्रिका के जुलाई अंक ‘ट्रेवलर इंडिया’ में भारत के चुनिंदा पर्यटन-स्थलों में मध्यप्रदेश की पर्वत श्रृंखला ‘सतपुड़ा की रानी’ पचमढ़ी को खास स्थान दिया गया है।

यूनेस्को द्वारा पचमढ़ी को ‘जैव संरक्षित क्षेत्र’ घोषित करने का उल्लेख करते हुए पत्रिका में कहा गया है कि कभी गोंड राजाओं के राज्य का हिस्सा रही पचमढ़ी मध्यप्रदेश का अनूठा पर्वतीय स्थान है। कोई बिरला ही होगा जो पचमढ़ी के प्रागैतिहासिक शैल चित्रों, झरनों, तालों से प्रभावित न हो। इसके घने जंगल और घाटियों के बीच महुये की महक दुर्गम यात्रा करने वाले शौकीनों और कवियों को लुभाने वाली है।

पत्रिका में कहा गया है कि गृहासक्त (होमसिक) अंग्रेजों ने पचमढ़ी के प्राकृतिक दृश्यों को अपने मनपसंद रूप में ढाला था। यहां के चर्च, खेल क्लब और गोल्फ का मैदान इंग्लैंड जैसे ही बनाए गए थे।

पत्रिका में पांडव गुफाओं, धुंआधार, जटाशंकर, जम्बूद्वीप, हांडीखोह जैसे पचमढ़ी के दर्शनीय स्थानों के साथ अंग्रेजों के जमाने के बने दो सुंदर चर्च का भी उल्लेख किया गया है। इसमें कुछ स्थानों के परिवर्तित नामों का भी जिक्र किया है जैसे ‘सांडर्स पूल’ का नाम ‘सुंदर कुंड’ और ‘फूलर खंड’ का नाम अब ‘संगम विहार’ हो गया है।

इंग्लैंड से आने वाले पर्यटकों को अब ‘अप्सरा विहार’ मिलता है, जो कभी ‘फेअरी पूल’ कहलाता था। यह नाम इसलिए पड़ा था, क्योंकि वहां ‘अंग्रेज मेमसाब’ नहाया करती थीं। लेख में चौरागढ़ के त्रिशूल, झरने, संजय नेशनल पार्क, चर्च आदि के सुंदर चित्र भी दिए गए हैं। नेशनल जियोग्राफिक का यह अंक मुख्य रूप से हिमालय पर केन्द्रित है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here