भोपाल, अक्टूबर 2015/ पाँचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षा फिर से करवाने पर सैद्धांतिक सहमति हो चुकी है। खेल-खेल में प्राथमिक शिक्षा दी जाये। हिन्दी,प्रांतीय एवं एक विदेशी भाषा की शिक्षा दी जाये। स्कूल शिक्षा मंत्री श्री पारस जैन ने यह बात रीजनल कॉलेज में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर क्षेत्रीय परामर्श में कही। परामर्श में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के शिक्षाविद् शामिल हुए।

श्री जैन ने कहा कि शिक्षाविदों द्वारा दिये जाने वाले सुझावों को मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजा जायेगा। नई शिक्षा नीति में पर्यावरण शिक्षा को भी शामिल किया जाना चाहिए। शिक्षा में मोबाइल के उपयोग पर भी सुझाव दें।

उच्च एवं स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री दीपक जोशी ने कहा कि अंग्रेजी जबदरस्ती नहीं, स्वेच्छा पर पढ़ाई जाये। कई बार विद्यार्थी अंग्रेजी के डर से स्कूल नहीं जाते। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में नैतिक शिक्षा को भी शामिल किया जाय। स्कूलों में बाल-सभा शुरू की गयी है। इसमें बच्चों को व्यावहारिक ज्ञान दिया जाता है।

अपर संचालक राज्य शिक्षा केन्द्र सुश्री शीला दाहिमा ने कहा कि बच्चों को ऐसी शिक्षा भी दी जाये कि वे जीवन में परेशानियों का सामना कैसे करेंगे। छत्तीसगढ़ के संस्कृत बोर्ड के चेयरमेन डॉ.गणेश कौशिक ने कहा कि शिक्षा ऐसी हो, जिसमें सब को काम मिले। परामर्श में रीजनल कॉलेज के प्राचार्य प्रो.एच.के. सेनापति, प्रो. ओ.पी.शर्मा और डॉ. कुमरावत ने जीवन मूल्यों की शिक्षा देने की बात कही।

परामर्श में प्रतिभागियों ने स्कूल शिक्षा में गुणवत्ता, अध्यापक एवं शिक्षण, स्कूल शिक्षा में भाषा, परीक्षा एवं आकलन, ज्ञान और कौशल का एकीकरण,समावेशी शिक्षा, शांति, मूल्य, विज्ञान, गणित और पर्यावरण शिक्षा के संदर्भ में प्राचीन भारतीय ज्ञान, जीवन कौशल, शिक्षा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी और आर.टी.ई.-मिडे डे मील पर महत्वपूर्ण सुझाव दिये। इन बिन्दु पर प्राप्त सुझावों को राष्ट्रीय स्तर पर परामर्श के लिए भेजा जायेगा।

शिक्षा राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, नई दिल्ली के विभागाध्यक्ष प्रो.वी.के. भारद्वाज ने परामर्श की विषय-वस्तु की जानकारी दी।

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