भोपाल, अगस्त 2013/ हरियाली महोत्सव में एक जून, 2013 से अब तक प्रदेश में 6 करोड़ 26 लाख पौधे रोपे जा चुके हैं। वन विभाग ने वर्षा ऋतु के दौरान 7 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। शेष रोपण की कार्यवाही चल रही है। इस वर्ष वन क्षेत्रों से बाहर भूमि पर पौध-रोपण को महत्व दिया जा रहा है। वन विभाग द्वारा रोपणियों को इसके लिये 42 लाख बीज वितरित किये गये थे।
प्रदेश में वनों के संवर्धन के लिये लागू हरियाली महोत्सव में वर्ष 2003-04 में जहाँ ढाई करोड़ से कम पौधे रोपित किये गये थे, वहीं वर्ष 2011-12 में सभी विभाग ने 12 करोड़ पौधे रोपित किये, जिसमें 7 करोड़ वन विभाग के पौधे शामिल हैं। प्रदेश में वर्ष 2010 को बाँस-रोपण वर्ष, 2011 को महुआ वर्ष और वर्ष 2012 को खमेर वर्ष के रूप में मनाया गया। बाँस वर्ष में वन विभाग और अन्य विभाग के माध्यम से 5 करोड़ बाँस पौधों का, महुआ वर्ष में 13 लाख महुआ के पॉलिथिन पौधों और 30 लाख महुआ बीज के माध्यम से रोपण हुआ। महुआ आदिवासियों का आहार होने के साथ-साथ आर्थिक लाभ का भी साधन है। खमेर वर्ष में 46 लाख खमेर के पौधों का रोपण किया गया। खमेर तेजी से बढ़ने वाला पौधा है, जिसकी काष्ठ इमारती लकड़ी के रूप में काम आने से किसानों को अच्छा आर्थिक लाभ मिलता है। खमेर काष्ठ के परिवहन को सरल बनाने के लिये राज्य शासन ने इसके को परिवहन अनुज्ञा-पत्र से मुक्त भी किया।
पौध-रोपण से रुकी वन आवरण में कमी
वन मंत्री सरताज सिंह ने बताया कि पौध-रोपण के कार्य, जो पहले बजट के अभाव में सीमित मात्रा में किये जाते थे अब प्रचुर मात्रा में होने लगे हैं। अब लगभग 7 करोड़ पौधे प्रतिवर्ष अकेले वन विभाग की सभी एजेंसियों द्वारा लगाये जाते हैं। इतनी संख्या में पौध-रोपण के परिणाम स्वरूप वन आवरण में निरंतर हो रही कमी वर्ष 2005 से रुक चुकी है।