भोपाल, दिसम्बर 2015/ भारतीय चिकित्सा पद्धति पर एक कार्यशाला भोपाल में होगी। कार्यशाला का आयोजन साँची बौद्ध विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है। मार्च माह में भारत भर के अलग-अलग चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञों और विद्वानों को कार्यशाला में आमंत्रित किया गया है। भारतीय चिकित्सा पद्धति की विभिन्न विधाओं को समन्वित कर उनमें पारस्परिक समता स्थापित करने और एक लोक-हितकारी ज्ञान तैयार करना कार्यशाला का उद्देश्य है।
स्थानीय परिस्थितियों और पर्यावरण को आधार बनाकर प्राचीन काल से भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को बड़े स्तर पर अपनाया जाता रहा है। आयुर्वेद, योग एवं प्राणायाम, पंचकर्म, तिब्बती चिकित्सा, यूनानी, रसशास्त्र एवं सिद्ध, रेकी, चुंबक चिकित्सा, गंध चिकित्सा, फ्लावर थेरेपी, एक्यूप्रेशर, एक्यूपंचर जैसी अनेक चिकित्सा पद्धतियाँ प्रचलित हैं और बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की जाती हैं।
विश्वविद्यालय में स्थापित होने वाले समन्वित चिकित्सा केन्द्र में पारम्परिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ ही आदिवासियों और परम्परागत इलाज की लुप्तप्राय विधियों के संरक्षण और प्रचलन का कार्य भी किया जायेगा। विश्वविद्यालय इस क्षेत्र में उच्च-कोटि के शोध के साथ आम जनता के लिये उपयोगी चिकित्सा केन्द्र के जरिये भी इन विधाओं के प्रचार-प्रसार का कार्य कर सकता है। साथ ही इन विधाओं को लोकप्रिय बनाने के लिये छोटे-छोटे पाठ्यक्रम तैयार किये जायेंगे, जो आमजन के लिये भी श्रेयकर हो सकें। विश्वविद्यालय की विद्या परिषद ने भी समन्वित चिकित्सा केन्द्र के प्रस्ताव को अनुमोदित किया है।
- विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों को एकीकृत करने का प्रयास।
- पारम्परिक चिकित्सा पद्धति के विद्वानों को जोड़ा जायेगा।
- मार्च में राष्ट्रीय कार्यशाला से समन्वित चिकित्सा केन्द्र का आगाज।
- आदिवासी और लुप्तप्राय परम्परागत पद्धतियों का भी संरक्षण, प्रचलन।
- आमजन को प्रशिक्षण से गाँवों में सुलभ चिकित्सा संभव होगी।
- विधाओं को लोकप्रिय बनाने के लिये अल्पकालीन पाठ्यक्रम।
- केन्द्र में होगा उच्च-कोटि शोध एवं संरक्षण पर कार्य।