भोपाल, अप्रैल 2013/ मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित करना होगा। पर्यावरण सुरक्षित रहे और विकास के काम भी प्रभावित नहीं हो। इस तरह का व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। मुख्यमंत्री श्री चौहान यहां नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री श्रीमती जयंती नटराजन भी उपस्थित थीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता भारतीय संस्कृति के मूल में हैं। हमारे यहां सदियों से पशु, पक्षी, पेड़ और नदियों की पूजा की परंपरा रही है। पर्यावरण से खिलवाड़ के कारण सृष्टि का चक्र बदल गया है। ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या का सामना विश्व को करना पड़ रहा है। प्रदेश में 33 प्रतिशत वन क्षेत्र बनाये रखने के लिये हम प्रतिबद्ध है। विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन भी जरूरी है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रदेश में राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणविदो की कार्यशाला आयोजित की जाये। प्रदेश सरकार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को हर संभव सहयोग करेगी।

केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीमती नटराजन ने कहा कि हर कीमत पर विकास को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिये। बल्कि पर्यावरण हितों का ध्यान रखा जाना चाहिये। सही अर्थों में विकास पर्यावरण मित्र ही हो सकता है।

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.के.लाहोटी ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की इस बैंच से मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के लोगों को लाभ होगा। उच्च न्यायालय में लंबित पर्यावरण संबंधी मामले अब इस बैंच को स्थानांतरित कर दिये जायेंगे।

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