भोपाल, जनवरी 2013/ मध्य प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी का विस्तार अब विकासखण्ड स्तर तक हो गया है। इस कार्य के लिये दक्ष मानव संसाधन उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से प्रदेश के सभी 50 जिलों में जिला ई-गवर्नेंस मैनेजर के पद पर नियुक्ति की जा चुकी है। साथ ही 320 सहायक ई-गवर्नेंस मैनेजर की भर्ती भी हो चुकी है। इनमें से 80 प्रतिशत की पद-स्थापना कर दी गयी है। इसके अलावा डॉटा एन्ट्री आपरेटर के 50 पद भरे गये।

जिलों में ई-गवर्नेंस संबंधी काम अब और अधिक कुशलता से किया जा सकेगा क्योंकि इन पदों पर जिन युवाओं को नियुक्त किया गया है वे एमसीए, बीई (आईटी), बीई (कम्प्यूटर साइंस) आदि की डिग्री प्राप्त हैं और तकनीकी रूप से बहुत हुनरमंद हैं। इन लोगों की पद-स्थापना के बाद जिला कलेक्टर को अब विकल्प प्राप्त हो गया है। पहले वे सिर्फ एनआईसी (नेशनल इन्फर्मेटिक्स सेंटर) पर निर्भर थे। ये कुशल लोग अब जिलों में सभी विभागों में सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी तकनीकी समस्याओं का समाधान भी करेंगे।

मध्य प्रदेश में स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क (स्वान) का विस्तार किया गया है। अब विकास खण्ड स्तर तक वीडियो कॉन्फ्रेसिंग हो सकेगी। इसके जरिये अब मुख्यमंत्री, मंत्री, कलेक्टर, कमिश्नर विकासखण्ड स्तर पर अधिकारियों से सीधे संवाद कर सकेंगें। अभी यह सुविधा जिला स्तर तक सीमित है। कुछ विकासखण्ड में यह कार्य होने भी लगा है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान इसी माध्यम से खण्डवा जिले में जनपद पंचायत स्तर पर वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग कर इसका शुभारंभ कर चुके हैं।

कोषालयों तथा उप-कोषालयों को अब ‘‘स्वान ’’ से जोड़ दिया गया है। पहले ये वी-सेट से जुड़े थे। इसकी गति कम थी और खर्च ज्यादा होता था। ‘‘स्वान ’’ से जुड़कर इसकी गति बढ़ी है और खर्च कम हुआ है। इसके अलावा, वाणिज्यिक कर और परिवहन विभाग भी इस नेटवर्क से जुड़ गये हैं। योजना यह है कि सभी विभागों में यह कनेक्टिविटी उपलब्ध हो जाये। इससे डाटा कम्युनिकेशन आसान और सस्ता हो जाएगा, क्योंकि हर विभाग को यह अलग से नहीं लेना पड़ेगा। शीघ्र ही पाँच हजार नये कार्यालय को स्वान नेटवर्क से जोड़ने की योजना है।

मध्यप्रदेश में पाँच जिले को ई-डिस्ट्रिक्ट बनाने की पायलट परियोजना पहले ही पूर्ण कर ली गई है। इनमें इंदौर, गुना, ग्वालियर,सागर और शिवपुरी जिले शामिल है। इस पायलट परियोजना की सफलता को देखते हुए भारत सरकार ने प्रदेश के सभी 50 जिलों को ई-डिस्ट्रिक्ट बनाने के लिये 115 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है। अभी तक 15 करोड़ की राशि प्राप्त भी हो गई है।

ई-डिस्ट्रिक्ट व्यवस्था का उद्देश्य आम लोगों को किसी एक केन्द्र के माध्यम से सरकारी सेवाएँ आसानी से इलेक्ट्रानिक माध्यम से उपलब्ध करवाना है। इसका दूसरा उद्देश्य जिलों में कार्यरत विभागों का ऑटोमेशन और इलेक्ट्रिफिकेशन करना है। इसमें सारी प्रक्रियाएँ ऑनलाइन होगी। इस व्यवस्था से नागरिक सुविधा केन्द्रों, लोक सेवा केन्द्रों, स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क तथा स्टेट डेटा सेंटर जैसी आई.टी. अधोसंरचनाओं का लोक सेवा उपलब्ध करवाने में प्रभावी उपयोग हो सकेगा। साथ ही लोक सेवाएँ उपलब्ध करवाने में विश्वसनीयता, जवाबदेही और पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

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