भोपाल, मई 2013/ मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बाल-विवाह की रोकथाम के लिये चलाये जा रहे लाडो अभियान से वे सभी अभिभावक चिंतित हैं, जिन्होंने 13 मई को अक्षय तृतीया पर अपने नाबालिग बेटे या बेटी की शादी तय कर रखी है। अब वे यह सोचने पर मजबूर हैं कि राज्य सरकार की इतनी सख्ती के चलते कैसे अपने बच्चे का ब्याह होने दें। सरकार के कड़े रुख से सामूहिक विवाह समारोह के आयोजक भी सकते में हैं और वे हर जोड़े की आयु की बारीकी से जाँच-पड़ताल में जुटे हैं।
लाडो अभियान के तहत बाल-विवाह की रोकथाम को बड़ी चुनौती के रूप में लिया गया तथा सभी जिला कलेक्टर को कार्य-योजना बनाकर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिये गये थे। बाल-विवाह की रोकथाम के लिये सभी ग्रामों में कोर-ग्रुप का गठन कर कार्रवाई प्रारम्भ कर दी गई है। जिला प्रशासन के अधिकारियों ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में हाल ही में कई बाल विवाह रुकवाने में सफलता पाई है। इस दौरान वर वधू पक्ष के साथ ही समाज के लोगों को समझाइश भी दी गई। लोगों में जागरूकता लाने के अभियान भी चलाए जा रहे हैं। मन्दसौर जिला कलेक्टर द्वारा विद्यालयों में बाल-विवाह आधारित डाक्युमेन्ट्री फिल्म दिखाई गई। फिल्म से प्रभावित होकर दो बालिकाओं ने बाल-विवाह रोकने के लिए मदद माँगी, प्रशासन ने उनका बाल-विवाह होने से रूकवाया। कलेक्टर ने इन बालिकाओं को महिला-बाल विकास विभाग का जिला ब्रान्ड एम्बेसेडर बनाया है। उज्जैन जिले में तो बेंड-बाजे वालों को हिदायत दी गई कि बाल विवाह में बेंड बजाने पर उन्हें सजा हो सकती है।