भोपाल, अप्रैल 2013/ मध्यप्रदेश के खूबसूरत जंगल, जंगलों में उन्मुक्त विचरते बाघ, हिरण आदि पशु-पक्षी, शुद्ध पर्यावरण और वन विभाग द्वारा भ्रमण के लिये पर्यटकों को उपलब्ध करवाई जा रही बेहतर सुविधाएँ देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। इसका प्रमाण है पिछले पाँच साल में प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभयारण्यों में पर्यटकों की संख्या 5 लाख से बढ़कर 14 लाख के पार पहुँच चुकी है। इन पर्यटकों में एक लाख विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं। वन विभाग को पर्यटन से 20 करोड़ की आय हुई है, जिसे पर्यटकों को सुविधाएँ मुहैया करवाने और वन्य-प्राणी संरक्षण पर खर्च किया जाता है।

मध्यप्रदेश में वन्य-जीव संरक्षित क्षेत्र 10989.247 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जो देश के दर्जन भर राज्य और केन्द्र शासित राज्यों के वन क्षेत्रों से भी बड़ा है। मध्यप्रदेश में 94 हजार 689 वर्ग किलोमीटर में वन क्षेत्र हैं। यहाँ 10 राष्ट्रीय उद्यान और 25 वन्य-प्राणी अभयारण्य हैं, जो विविधता से भरपूर है। कान्हा, बाँधवगढ़, पन्ना, पेंच, सतपुड़ा एवं संजय राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व का दर्जा प्राप्त है। वहीं करेरा (गुना) और घाटीगाँव (ग्वालियर) विलुप्तप्राय दुर्लभ पक्षी सोनचिड़िया के संरक्षण के लिए, सैलाना (रतलाम) और सरदारपुर (धार) एक अन्य विलुप्तप्राय दुर्लभ पक्षी खरमोर के संरक्षण के लिये और 3 अभयारण्य- चंबल, केन एवं सोन घड़ियाल और अन्य जलीय प्राणियों के संरक्षण के लिये स्थापित किये गये हैं।

भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान को आधुनिक चिड़ियाघर के रूप में मान्यता प्राप्त है। डिण्डोरी जिले में घुघवा में एक फॉसिल राष्ट्रीय उद्यान है, जहाँ 6 करोड़ वर्ष पुराने वृक्षों के जीवाश्म संरक्षित किये गये हैं। धार जिले में वर्ष 2011 में नया ‘डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान’ स्थापित किया गया है।

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