भोपाल, जनवरी 2013/ लोक निर्माण मंत्री नागेन्द्र सिंह ने कहा है कि विभागीय देखभाल वाले प्रदेश के 1977 किलोमीटर लम्बाई के राष्ट्रीय राजमार्गों की मरम्मत के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध करवाया जायेगा। श्री सिंह विभाग द्वारा संधारित राष्ट्रीय राजमार्ग और परियोजना क्रियान्वयन इकाइयों की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम के प्रबंध संचालक विवेक अग्रवाल और सचिव विजय सिंह वर्मा सहित संबंधित अधिकारी मौजूद थे।

बैठक में बताया गया कि राष्ट्रीय राजमार्ग को अच्छी मोटरेबल हालत में रखने के लिए केन्द्र शासन से मरम्मत मद में अपर्याप्त बजट के बावजूद गत वर्षों में राज्य शासन ने 120 करोड़ की राशि स्वीकृत की। इसी तरह पिछले माह 130 करोड़ राष्ट्रीय राजमार्ग की मरम्मत के लिए स्वीकृत किए गए। इस स्वीकृति के अलावा सीधी-सिगरौली (एनएच-75) के लिए 6 करोड़ और मण्डला-चिलपी के लिए 10 करोड़ रूपये अतिरिक्त उपलब्ध करवाए गए।

श्री सिंह ने रीवा-सीधी सिगरौली मार्ग पर अनुबंधानुसार कार्य न करने वाले तीन ठेकेदारों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। मैदानी क्षेत्रों में फील्ड स्टॉफ की कमी को पूर्ण करने के निर्देश दिए और कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित मापदण्ड के अनुसार शत प्रतिशत परिक्षण कर साम्रगी का उपयोग करने को कहा।

लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि गारंटी पीरिएड की सड़कों के मरम्मत की जिम्मेदारी ठेकेदार की है। इस संबंध में निर्देंशों का पालन न करने वालों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए। राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए नई दर सूची (एस.ओ.आर) लागू की जाए। एन.एच.ए.आई. के परफार्मेंस गारंटी की सूची जहाँ मार्ग खराब स्थति में है, एक सप्ताह में शासन को उपलब्घ करवाएं। श्री सिंह ने एन.एच. और पी.आई.यू. के नौ डिवीजन में से दो डिवीजन रीवा और हरदा को पृथक करने का आश्वासन दिया। इसके अलावा पी.आई.यू. की समीक्षा के दौरान ऐसे निर्माण कार्यों, जिनके लिए विभाग द्वारा भूमि आवंटित नहीं की गई है, को पृथक करने को कहा। पी.आई.यू. द्वारा 2979 कार्य किए जा रहे हैं जिनमें से 119 कार्य के लिए भूमि का आवंटन नहीं किया गया है। निर्देश दिए कि हर जगह साइट विजिट कर ही तकनीकी स्वीकृति जारी करें। भवन निर्माण कार्यों में भी क्वालिटी मॉनीटरिंग की आवश्यकता है। इसके लिए हर साइट पर टेस्टिंग का सामान अवश्य रखें। कहा कि परियोजना क्रियान्वयन इकाई के अधिकारी जिला कलेक्टर से भी सतत् सम्पर्क में रहकर आ रही समस्या मौखिक और लिखित बता सकते हैं। माहवार भवन निर्माण का लक्ष्य निर्धारित कर अवगत करवाया जाए।

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