भोपाल, अप्रैल 2013/ मध्यप्रदेश में महिलाओं एवं बच्चों के उत्पीड़न को रोकने के लिये अब और सख्त कदम उठाये जायेंगे। जिलों में इसके लिये अधिकारियों की समिति गठित कर अपराधों की नियमित समीक्षा होगी तथा लम्बित प्रकरणों के शीघ्र निराकरण की पहल की जायेगी। यह जानकारी महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती रंजना बघेल ने महिला हिंसा की रोकथाम के लिये जिलों में किये जा रहे कार्यों की राज्य-स्तरीय समीक्षा बैठक में दी। बैठक में प्रमुख सचिव महिला-बाल विकास बी.आर. नायडू और आयुक्त महिला सशक्तिकरण श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव भी उपस्थित थीं।

श्रीमती बघेल ने कहा कि महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिये जिलों को विशेष सतर्कता बरतनी होगी। महिला-बाल विकास के सीडीपीओ और सुपरवाइजर, पुलिस के एसडीओपी और टी.आई., जिला प्रशासन के एसडीएम तथा शासकीय अधिवक्ता मिलकर लम्बित प्रकरणों के शीघ्र निराकरण की पहल करेंगे। श्रीमती बघेल ने बताया कि महिला हिंसा की रोकथाम के लिये मुख्यमंत्री ने समीक्षा कर थानों में अलग से जिम्मेदारी तय की है। टोल-फ्री नम्बर 1090 की शुरूआत भी की गई है। महिला हिंसा से संबंधित प्रकरणों को 15 दिन में निराकृत करने के भी निर्देश दिये गये हैं। महिला सशक्तिकरण संचालनालय भी इस दिशा में गठित किया गया है, जिसके माध्यम से घरेलू हिंसा, आश्रय-गृह आदि विषयों पर कार्य किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में बाल विवाह की दर में 85 प्रतिशत की कमी आयी है। लाडो अभियान के बाद जिलों में बाल विवाह के अनेक प्रकरणों में रोग लगी है।

श्रीमती बघेल ने प्रमुख सचिव से कहा कि वे सभी कलेक्टर को निर्देश दें कि उनके जिले में घटित हो रहे महिला अपराधों की प्रत्येक दो माह में समीक्षा कर उसके रोकथाम की दिशा में कारगर कदम उठाये जायें। जिले में पदस्थ महिला सशक्तिकरण अधिकारी के पास पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों के टेलीफोन नम्बर भी होना चाहिये। बच्चों और महिलाओं के प्रति हिंसा रोकने के जागरूकता अभियान चलें व इनमें आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की भी मदद ली जाये।

श्री बी.आर. नायडू ने कहा कि सभी जिले अपनी गतिविधियों का डाक्यूमेंटेशन अवश्य करें। श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव ने बताया कि भोपाल स्थित बाल भवन में शीघ्र राज्य महिला संसाधन केन्द्र स्थापित किया जायेगा।

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