भोपाल, जून 2013/ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि मध्यप्रदेश ने जिस कुशलता और शिद्दत से जनजातीय धरोहर को सहेजा है, वह सराहनीय है। राष्ट्रपति यहाँ नव-निर्मित जनजातीय संग्रहालय का लोकार्पण कर रहे थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि मध्यप्रदेश में जनजातीय जनसंख्या काफी अधिक है और यह 7 राज्यों का पड़ोसी है। इसके कारण मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर बहुत समृद्ध है। लिहाजा जनजातीय जीवन के सभी पहलुओं को प्रदर्शित करने के लिये यहाँ जनजातीय संग्रहालय स्थापित किया जाना सर्वथा समीचीन है। औद्योगिकीकरण की अंधाधुध प्रक्रिया में अनेक जनजातीय संस्कृतियाँ विलुप्त हो गईं हैं। इस संग्रहालय के माध्यम से ऐसे सामाजिक आयोजन किये जा सकते हैं, जिससे जनजातीय और गैर-जनजातीय समाज एक-दूसरे को भली-भाँति समझ सकते हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने इस संग्रहालय की स्थापना कर बड़ा रचनात्मक कदम उठाया है। इस क्षेत्र में मध्यप्रदेश निश्चय ही देश में सबसे आगे होगा। राष्ट्रपति ने संग्रहालय की दीर्घाओं का अवलोकन भी किया।
राज्यपाल रामनरेश यादव ने कहा कि यह संग्रहालय न केवल मध्यप्रदेश बल्कि विश्व में एक श्रेष्ठ संस्थान के रूप में स्थापित होगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जनजातीय लोग प्रकृति का शोषण नहीं, उसका सदुपयोग और संरक्षण पूरी निष्ठा से करते हैं। संग्रहालय को अनूठा स्वरूप देने वाले जनजातीय कलाकारों को शीघ्र ही एक बड़ा आयोजन कर सम्मानित किया जायेगा। श्री चौहान ने कहा कि वन्य-प्राणी संरक्षण अधिनियम के कारण आदिवासी क्षेत्रों का विकास अवरूद्ध हो रहा है। शेरों और उद्योगों का संरक्षण जरूरी है, लेकिन यह आदिवासियों की कीमत पर किया जाना उचित नहीं है।
प्रारंभ में संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकान्त शर्मा ने संग्रहालय की विशेषताओं के बारे में बताया। उन्होंने राष्ट्रपति का अभिनंदन किया और उन्हें आदिवासी पगड़ी पहनाई।