भोपाल, जून 2013/ परम्परागत रूप से आदिवासी अंचलों के श्रमिक काम की तलाश में अन्य स्थानों की ओर पलायन करते रहे हैं। लेकिन राज्य में महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के माध्यम से आदिवासी बहुल इलाकों में खोले गये रोजगार कार्यों की वजह से इस वर्ष पलायन को रोकने में सफलता मिली है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार इन दिनों बड़ी तादाद में ऐसे जरूरतमंद अनुसूचित जनजाति के श्रमिक अपने ही गाँव के आस-पास चल रहे रोजगारमूलक कार्यों में जुटे हैं। राज्य में अनुसूचित जनजाति के जॉब कार्डधारी ग्रामीण श्रमिकों को उनकी माँग पर तत्काल रोजगारमूलक काम मुहैया करवाने के पुख्ता इंतजाम हैं। पिछले दिनों धार जिले में करीब 50 हजार से अधिक ऐसे ग्रामीण श्रमिक परिवार को उनके द्वारा काम की माँग किये जाने पर जिला प्रशासन की मदद से उनके गाँव या करीब में ही रोजगारमूलक काम मुहैया करवाये गये हैं।
मनरेगा के जरिए विभिन्न जिलों के अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्रों में करीब 8 लाख जॉब कार्डधारी श्रमिकों को चालू माली साल में लगभग 23 लाख मानव दिवस का रोजगार मिला है। मनरेगा में लागू ई-एफ.एम.एस. व्यवस्था से रोजगारमूलक कार्यों में तेजी आई है।