भोपाल, अगस्त 2013/ बरसों से खुद की जमीन का सपना संजोने वाले भूमिहीन अब अपना सपना साकार होते देख रहे हैं। शहरी क्षेत्रों से परे कृषि भूमि या कृषि भूमि के पास निजी भूमि पर लम्बे समय से रह रहे इन भूमिहीनों के लिये सरकार ने अप्रैल, 2012 में मध्यप्रदेश वास-स्थान दखलकार (भूमि-स्वामी अधिकारों का प्रदान किया जाना) संशोधन अधिनियम-2012 लागू किया है। अधिनियम के तहत अब तक 9200 भूमिहीनों को उस भूमि का, जिस पर ये लम्बे समय से रह रहे थे, प्राधिकार-पत्र मिल चुका है। भू-स्वामी बनने से आर्थिक रूप से कमजोर ये लोग खुश हैं।
म.प्र. वास-स्थान दखलकार अधिनियम
नगरेतर क्षेत्र में स्थित किसी कृषि भूमि या उसके पास कोई ऐसा स्थान, जो 29 जून, 1980 को किसी भूमिहीन व्यक्ति के दखल में है, को उक्त तारीख को ऐसे भूमिहीन व्यक्ति में, भूमि-स्वामी अधिकारों में निहित हो गया समझा जायेगा, बशर्ते वह वास-स्थान उस तारीख के पूर्व एक या अधिक वर्ष तक उसके कब्जे में रहा हो। यह अधिनियम किसी स्थानीय प्राधिकरण, धार्मिक विन्यास, निजी बागान या फलोद्यान स्थित वास-स्थानों पर लागू नहीं है।
राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने बताया कि वास-स्थान दखलकार अधिनियम में 29 हजार 676 प्रकरण का सर्वेक्षण किया गया है। इसमें से 15 हजार 133 पात्र और 16 हजार 165 अपात्र पाये गये हैं। पात्र प्रकरणों में से अब तक 9200 प्रकरण में प्राधिकार-पत्र वितरित किये जा चुके हैं। शेष 5933 में कार्यवाही जारी है। इसके अलावा 4311 प्रकरण में जाँच होना तथा पात्र पाये गये प्रकरणों में प्रमाण-पत्र जारी होना शेष है।