भोपाल, अगस्त 2014/ सुदूर ग्रामीणों अंचलों तक बेंकिग सुविधाएँ और उनसे मिलने वाले लाभ ग्रामीणों को मुहैया करवाने के लिये मध्यप्रदेश में शुरू किये गये वित्तीय समावेशन मॉडल ”समृद्धि” को अब भारत सरकार द्वारा देश में ”संपूर्ण वित्तीय समावेशन योजना” के रूप में लागू किया जा रहा है। मध्यप्रदेश के इस मॉड़ल में यह तय किया गया है कि ग्रामीणों को उनके घरों के 5 कि.मी. के दायरे में ही बेंकिग सुविधाओं का लाभ मिले। इसलिये मध्यप्रदेश के 14 हजार 697 ऐसे गाँव, जहाँ 20 से 70 किलोमीटर की दूरी पर बेंकिग सुविधाओं का अभाव था, को चिन्हाकिंत किया गया और इन गाँव में ग्रामीणों को घरों के नजदीक बेंकिग सुविधा के मकसद से 2998 अल्ट्रा-स्मॉल बेंक खोलने की मुहिम शुरू की गई। अब तक 2400 से अधिक छोटे-छोटे गाँव में खुल चुके इन बेंकों ने करीब 1800 करोड़ से अधिक का कारोबार किया है।
ग्रामीणों के रोजमर्रा के बेंकिंग काम-काज के साथ अब इन बेंकों से केन्द्र और राज्य की हितग्राही योजनाओं का लाभ भी जरूरतमंद लोगों को आसानी से मिलने लगा है। हितग्राहियों के बेंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ का हस्तांतरण हो रहा है। ग्रामीण अंचलों में बीपीएल परिवारों, वृद्धजन, निराश्रित, निःशक्तजन और विधवाओं को भारत सरकार और राज्य सरकार से मिलने वाली आर्थिक सहायता तथा पेंशन राशि सीधे उनके बेंक खातों में जमा हो रही है। छात्रवृत्तियाँ, स्कूल ड्रेस तथा साइकल की राशि और जननी सुरक्षा सहायता राशि समग्र पोर्टल के जरिये इन बेंकों में अब सीधे पहुँच रही है।
अल्ट्रा-स्माल बेंक ग्राम-पंचायत भवन तथा ई-पंचायत कक्ष में खोले जा रहे हैं। इन बेंकों का संचालन करने के लिये स्थानीय ग्रामीणों को ही व्यावसायिक प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया गया है। अल्ट्रा-स्माल बेंक बेहद कम खर्च में स्थापित हो रहे हैं। बेंक संचालन के लिये उपयोग की जा रही हेण्ड-हेल्ड डिवाइज को व्यवसायिक प्रतिनिधि द्वारा आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। जरूरत के अनुसार यह बेंक ग्रामीणों के घर-आँगन और खेत-खलिहानों तक भी पहुँच जाती है। बेंक खाता खोलने तथा राशि जमा और भुगतान करने की सुविधा ग्रामीणों को द्वार पर ही देती है। इस व्यवस्था से दृष्टिहीन, निःशक्त और ग्रामीणों को बेंकिग सुविधाओं का लाभ घर बैठे मिल रहा है। इन बेंकों के जरिये प्रदेश के लाखों गरीब ग्रामीण ने खुशहाली की तरफ कदम बढ़ाये हैं।
मध्यप्रदेश द्वारा तैयार किये गये वित्तीय समावेशन मॉडल ‘समृद्धि” की देश में सराहना हुई है। अल्ट्रा-स्माल बेंकों की व्यापक सफलता से देश के कई राज्य का ध्यान मध्यप्रदेश के इस अनूठे मॉडल की ओर आकर्षित हुआ है और उनके प्रतिनिधि-मण्डल बेंक की कार्य-प्रणाली देख चुके हैं। समृद्धि मॉडल की अभूतपूर्व सफलता और इन बेंकों द्वारा निरंतर करोड़ों रूपये के कारोबार से अब ग्रामीण बेंकिग को नई दिशा मिली है। इस अनूठी सफलता से बैंकों की यह धारणा भी निर्मूल साबित हुई है कि गॉवों में बेंक खोलने का काम फायदेमंद नहीं हैं। सभी महत्वपूर्ण बेंक संस्थानों में अब मध्यप्रदेश के ग्रामीण अंचलों में अल्ट्रा-स्माल बेंक खोलने की प्रतिस्पर्धा है। इन्हीं तथ्यों को देखते हुए भारत सरकार ने भी वित्तीय समावेशन के मध्यप्रदेश मॉडल को सारे देश में जस का तस लागू करने का फैसला लिया है। नई दिल्ली में 24 जनवरी 2014 को राष्ट्रीय कार्यशाला में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा इस समावेशन मॉडल की सफलता और मूल्यांकन पर रिपोर्ट भी जारी की गई। कार्यशाला में प्रतिनिधियों द्वारा भी मॉडल को सराहा गया था।
ग्रामीण बेंकिग व्यवस्था को सुदृढ़ रूप देने के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर मुख्यमंत्री ग्राम समृद्धि भवन योजना भी शुरू हो चुकी है। इस योजना के जरिये ग्रामीण अंचलों में खुलने वाली नई बेंक शाखाओं के लिये प्रति बेंक 10 लाख रूपये की लागत से 1000 बेंक भवन ग्राम पंचायत के सहयोग से बनाये जा रहे हैं। इसके लिये 100 करोड़ का प्रावधान राज्य शासन ने किया है। अब तक 31 भवन निर्माण की मंजूरी ग्राम पंचायतों को मिल चुकी है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने विगत दिनों इस योजना का ऑनलाइन शुभारंभ किया। वित्तीय समावेशन से प्रदेश के जिला सहकारी बेंक भी एनईएफटी प्रणाली से जुड़ गये हैं। अब मनरेगा मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा योजना के हितग्राहियों को मिलने वाली सहायता राशि का त्वरित भुगतान सहकारी बेंकों के माध्यम से होने लगा है। प्रदेश के सुदूर अंचलों में स्थापित पोस्ट ऑफिस भी जल्द आधुनिक भुगतान व्यवस्था से जुड़ने जा रहे हैं।