भोपाल, अप्रैल 2013/ रोज़-ब-रोज़ बदलते फैशन और बाजार की माँग के मुताबिक मध्यप्रदेश के शिल्पी नये-नये प्रयोग कर रहे है। अनेक शिल्पी फ्यूजन में हाथ आजमा रहे हैं। अभी उन्होंने लेदर और बाटिक तथा बाँस और बेत का फ्यूजन शुरू किया है।

शिल्पियों को देश-विदेश के बजार में आगे बने रहने मदद के लिये सरकार उन्हें कई तरह की मदद दे रही है। इसमें कम्प्यूटर दिया जाना भी शामिल है। पिछले साल महेश्वर के 33, चन्देरी के 5, जबलपुर के 2, बैतूल के 1, धार के 4, ग्वालियर के 8, देवास के 4, बारहसिवनी के 8, बालाघाट के 1, उज्जैन के 14, टीकमगढ़ के 5, छिन्दवाड़ा के 8 और होशंगाबाद के 4 शिल्पियों/स्व-सहायता समूहों को 75 प्रतिशत अनुदान पर कम्प्यूटर मंजूर किये गये।

मध्यप्रदेश के शिल्पी कम्प्यूटर की मदद से परम्पराओं का निर्वाह करते हुए अपने हुनर में नयापन लाने पर बहुत ध्यान दे रहे है। उज्जैन में भैरोगढ़ के मशहूर बाटिक शिल्पी रहीम गुट्टी ने 74 साल की उम्र में कम्प्यूटर पर काम करना सीखा है। वे कम्प्यूटर की मदद से डिज़ाइनों में नये-नये प्रयोग कर रहे है।

शिल्पियों की मदद के लिये नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नालॉजी के प्रोफेशनल्स को कलाकारों के पास भेजा जाता है। वे शिल्पियों की कार्यशालाएँ आयोजित कर उन्हें नये डिज़ाइन बनाने में मदद करते है।

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