भोपाल, दिसंबर 2012/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बैरागी समुदाय का आव्हान किया है कि वह बेटा-बेटी में भेदभाव को समाप्त करने का संदेश समाज में प्रसारित करें। उन्होंने कहा कि बेटियों के बिना संसार नहीं चल सकता। देवता भी उसी घर में रहते हैं जहाँ पर माँ, बहन और बेटियों का सम्मान होता है। श्री चौहान यहाँ तुलसी मानस प्रतिष्ठान के सभागार में बैरागी समाज के युवक-युवती परिचय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बैरागी समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रदेश सरकार खड़ी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटों को लोग वृद्धावस्था का सहारा मानते हैं। प्रदेश सरकार अब बेटियों वाले परिवारों की वृद्धावस्था का सहारा बनेगी। केवल बेटियों वाले परिवारों को 60 वर्ष की उम्र के बाद से पेंशन देने की योजना तैयार की गयी है। प्रदेश में बेटियों के विवाह में सहयोग के लिए मुख्यमंत्री कन्यादान योजना संचालित है। वृद्धावस्था में तीर्थ-दर्शन करवाने के लिये तीर्थ-दर्शन योजना भी लागू की है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि लोकतंत्र में मुख्यमंत्री जनता का सेवक होता है। इसी भावना के साथ प्रदेश सरकार कार्य कर रही है। श्री चौहान ने विभिन्न प्रसंग के माध्यम से बताया कि परमात्मा को प्राप्त करने के तीन मार्ग ज्ञान, भक्ति और कर्म है। व्यक्ति अपने कर्त्तव्यों का ईमानदारी से पालन कर भी ईश्वर को प्राप्त कर सकता है।

स्वागत उद्बोधन श्री बाबूलाल मेवरा ने दिया। इस अवसर पर वैष्णव (बैरागी) समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री यू.के. स्वामी, प्रदेश अध्यक्ष श्री पी.एन. बैरागी, राष्ट्रीय हिन्दी मेल के प्रधान संपादक श्री विजय कुमार दास, श्री मनोहर बैरागी, प्रहलाद बैरागी और समाज के सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम संचालन श्री सुरेश ने किया।

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