भोपाल, मई 2013/ मध्यप्रदेश में बाल विवाह को रोकने के लिए राज्य सरकार ने इस साल भी सख्त कदम उठाये हैं। बाल विवाह की रोकथाम के लिए फरवरी माह से लागू लाड़ो अभियान की कार्य-योजना के तहत जिलों में विशेष गतिविधियाँ संचालित की गई हैं। अभियान को पूरे साल जारी रखने का निर्णय लिया गया है। जिला कलेक्टरों का ध्यान उन तिथियों की और दिलाया गया है, जिनमें बड़ी संख्या में विवाह अथवा सामूहिक विवाह समारोह होते हैं। इनमें अक्षय तृतीया अथवा आखा-तीज प्रमुख है, जो सोमवार 13 मई को है।
बाल विवाह करना, बाल विवाह रोकथाम अधिनियम-1929 के अंतर्गत गैर कानूनी है। इसमे कैद या जुर्माना दोनों सजाएँ हो सकती हैं। ‘‘बालक’’ से अभिप्रेत, पुरूष से है जो इक्कीस वर्ष से कम आयु का हो और यदि नारी हो तो अठारह वर्ष से कम आयु की हो।
अधिनियम की धारा-5 में बाल विवाह के अनुष्ठान पर दण्ड का प्रावधान है। सम्बद्ध माता-पिता या संरक्षक के लिए भी दण्ड का प्रावधान है।