भोपाल, अगस्त 2013/ बाघ संरक्षण की दिशा में मध्यप्रदेश वन विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयासों को बहुत बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। पन्ना टाइगर रिजर्व में दो बाघिन टी-4 और टी-2 ने 3-3 बाघ शावक को जन्म दिया है। पन्ना टाइगर रिजर्व की यह शानदार सफलता देश-प्रदेश ही नहीं विश्व में वन्य-प्राणी संरक्षण की दिशा में बहुत मायने रखती है, क्योंकि पन्ना में बाघ समाप्त हो गये थे। विभाग द्वारा अन्य क्षेत्रों से लाकर 4 मादा और एक नर बाघ इस रिजर्व में छोड़े गये थे। आज यहाँ 5 पुनस्थापित बाघों के अतिरिक्त 11 (वयस्क एवं अर्ध-वयस्क) बाघ विचरण कर रहे हैं।
पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघिन टी-4 ने हाल ही में 3 शावक को जन्म दिया था, पर ये शावक पहली बार आज ही दिखे। उप संचालक विक्रम सिंह परिहार ने शनिवार को न केवल इन्हें प्रत्यक्ष देखा बल्कि तीनों का फोटो लेने में भी सफलता हासिल की। टी-4 ने पूर्व में नवम्बर, 2011 में दो शावक को जन्म दिया था, जिनको बाघिन ने एक वर्ष तक पालन-पोषण करने के बाद स्वयं से अलग कर दिया। अब ये बाघ स्वतंत्र विचरण कर रहे हैं।
कान्हा टाइगर रिजर्व से मार्च, 2009 में पन्ना टाईगर रिजर्व में लाई गई बाघिन टी-2 ने भी तीसरे लिटर में 3 शावक को जन्म दिया है, जिन्हें हाल ही में देखा भी गया है। किन्तु अभी इनके फोटोग्राफिक प्रमाण नहीं जुटे हैं। इससे पहले टी-2 ने पहले लिटर में 4 शावक को और दूसरे लिटर में 3 शावक को जन्म दिया था। गत साढ़े चार वर्ष में टी-2 द्वारा 3 बार बाघ शावकों को जन्म देना अति-महत्वपूर्ण है।