भोपाल, जून 2013/ कई दशकों तक डाकुओं की शरण-स्थली रही चम्बल घाटी अब पर्यटन आकर्षण का केन्द्र बनने जा रही है। पर्यटक अब इस घाटी के सदियों पुराने पुरा महत्व के अनेक मंदिर को नजदीक से देख सकेंगे। चम्बल पर्यटन सर्किट के विकास के लिए केन्द्र द्वारा 7 करोड़ 10 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। सर्किट में श्योपुर, मुरैना, भिण्ड जिलों में पर्यटकों की सुविधाओं का विकास किया जा रहा है।

मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम ने चम्बल सर्किट में पर्यटकों की सुविधा के लिए जल क्रीड़ा जैसे बोटिंग, राफटिंग, केम्पिंग, बर्ड वाचिंग तथा राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल अभयारण्य में बने इन्टरप्रिटेशन केन्द्र से जानकारी आदि उपलब्ध करवाये जाने की व्यवस्था की है।

चम्बल घाटी के मुरैना-भिण्ड में पुरातत्व महत्व के अनेक स्थान मौजूद हैं। मुरैना के सिहोनिया में आठवीं शताब्दी के शिव मंदिर, महाभारत कालीन अवशेष, पहाड़गढ़ की ऐतिहासिक काल की मानवों की लिखी लिपियों से युक्त गुफाएँ, मुगल और सिंधिया काल की भव्य इमारतें मौजूद हैं। पर्यटकों की सुविधा के लिए इन सभी जगहों पर पर्यटन की जानकारी और सुविधा केन्द्र विकसित किए जा रहे हैं। इसी प्रकार ककनमठ तथा शनिचरा मंदिर के पास पार्किंग व्यवस्था, संकेत पटल तथा पर्यटकों के रुकने की व्यवस्था भी की जा रही है।

भिण्ड जिले में अटेर किले को और अधिक सुविधाजनक बनाये जाने का कार्य भी प्रगति पर है। इसी प्रकार श्योपुर जिले में सेसाईपुरा में पर्यटन की जानकारी एवं सुविधा केन्द्र, संकेत पटल, रामेश्वरम् पर पार्किंग तथा बोटिंग की सुविधा, चम्बल नदी के तट पर व्यू-पाइंट आदि की व्यवस्था की जा रही है।

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