भोपाल, जुलाई 2013/ मध्यप्रदेश में पिछले 9 साल में चिकित्सा शिक्षा संबंधी जरूरी अधोसंरचना और सुविधाओं में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है। प्रदेश में इस अरसे में चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई। प्रदेश में जहाँ वर्ष 2002-03 में 9 चिकित्सा शिक्षा संस्थाएँ थीं, जो वर्ष 2012-13 की स्थिति में 27 हो गई। इसमें शासकीय स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय की संख्या 5 से बढ़कर 6, शासकीय स्वशासी दंत चिकित्सा महाविद्यालय 1, निजी चिकित्सा महाविद्यालय 1 से बढ़कर 6 और निजी दंत चिकित्सा महाविद्यालय 2 से बढ़कर 14 हो गये हैं।

60 साल बाद चिकित्सा महाविद्यालय

बुन्देलखण्ड क्षेत्र में आजादी के साठ साल बाद पहला चिकित्सा महाविद्यालय सागर में वर्ष 2009 में आरंभ किया गया। यह अनुसूचित क्षेत्र में प्रारंभ किया जाने वाला प्रदेश का पहला शासकीय स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय है। इसके पहले प्रदेश में कुल 5, भोपाल में गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय, इंदौर में महात्मा गाँधी स्मारक चिकित्सा महाविद्यालय, ग्वालियर में गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय, जबलपुर में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस चिकित्सा महाविद्यालय और रीवा में श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय स्थापित थे।

मध्यप्रदेश के शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय में इंदौर का स्वशासी दंत चिकित्सा महाविद्यालय पूर्व से स्थापित था। विगत 9 वर्ष में आरंभ निजी चिकित्सा महाविद्यालय में भोपाल का पीपुल्स कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस एण्ड रिसर्च सेंटर, इंदौर का श्री अरविंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, इंदौर का इन्डेक्स मेडिकल कॉलेज, भोपाल का एल.एन. मेडिकल कॉलेज और चिरायु मेडिकल कॉलेज स्थापित हुए। निजी चिकित्सा महाविद्यालय में उज्जैन का आर.डी. गार्डी मेडिकल कॉलेज 9 साल के पहले से स्थापित है।

जबलपुर में चिकित्सा विश्वविद्यालय

प्रदेश के पहले चिकित्सा विश्वविद्यालय की स्थापना जबलपुर संभागीय मुख्यालय पर की गई है। इसकी स्थापना के बाद प्रदेश में संचालित चिकित्सा, दंत चिकित्सा, नर्सिंग एवं पैरामेडिकल महाविद्यालयों द्वारा संचालित विभिन्न पाठ्यक्रम की परीक्षाओं में एकरूपता आ जायेगी।

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