भोपाल, दिसंबर 2012/ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के बेहतर क्रियान्वयन के लिये प्रदेश में किये गये प्रयासों की सराहना केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने की हैं। उन्होंने इस बारे में हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को पत्र लिखा हैं। पत्र में मध्यप्रदेश में आजीविका कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में केन्द्र सरकार द्वारा व्यापक सहायता और सहयोग देने की बात भी कही गई है। केन्द्र द्वारा मिशन की प्रदेश की वार्षिक कार्ययोजना की पहली किश्त में 77 करोड़ 82 लाख की राशि मंजूर की जा चुकी हैं।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मध्यप्रदेश में मौजूदा वित्तीय वर्ष में एक अप्रैल से इस मिशन का क्रियान्वयन शुरू किया गया है। प्रदेश में मिशन की विभिन्न गतिविधियों की सुचारू शुरूआत हो चुकी हैं। ग्रामीणों को मिशन के उद्देश्यों की जानकारी देने के लिये लक्षित ग्रामों में ग्राम प्रवेश कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। केन्द्र सरकार द्वारा समय-समय पर की गई समीक्षा में अन्य राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश में इस मिशन की प्रगति को हर बार सराहा गया हैं।
राज्य आजीविका फोरम के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एल.एम.बेलवाल ने बताया कि मिशन के क्रियान्वयन में अब ग्रामीण परिवारों की सीधी भागीदारी रहेगी। खास तौर से गरीब एवं अतिगरीब परिवारों की महिलाओं को स्व-सहायता समूहों से जोड़ा जा रहा हैं। इस मिशन के माध्यम से लक्ष्य परिवारों को आजीविका के आवश्यक साधन जुटाने के लिये प्रशिक्षण के साथ ही वित्तीय सहायता सुलभ करवाई जायेगी। वित्तीय सेवाओं तक बेहतर और सरल तरीके से उनकी पहॅुच बनाकर को बढ़ाने के सार्थक प्रयास शुरू किये गये हैं। ग्रामीण परिवारों के कौशल और क्षमता उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिये सुचारू रणनीति अपनाई जा रही है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में अब तक 20 हजार बेरोजगार युवाओं को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण दिया जा चुका है। जो युवा अपना स्वयं का लघु उद्योग या स्वरोजगार स्थापित करना चाहते हैं, उन्हें जिला स्तर पर स्थापित ‘‘रूरल सेल्फ इम्प्लायमेंट ट्रेंनिंग इंस्टीटयूट’’ के माध्यम से प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई है। प्रशिक्षण के बाद बैंकों के माध्यम से वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाकर उन्हें स्वयं का रोजगार स्थापित करने में मदद दी जा रही है। करीब 10 हजार ग्रामीण बेरोजगार को विकासखण्ड स्तर पर रोजगार मेलों के माध्यम से विभिन्न संस्थानों में रोजगार उपलब्ध करवाया जा चुका है।
मिशन के प्रथम चरण में राज्य के 10 जिलों के 46 विकास खण्ड के 6207 गाँव को शामिल किया गया है। प्रथम चरण में अनुसूचित -जनजाति बहुल जिलों को इस कार्यक्रम से जोड़ा गया हैं। इनमें श्योपुर, झाबुआ, धार, अलीराजपुर, बड़वानी, शहडोल, अनूपपुर, डिण्डोरी, मण्डला और बालाघाट शामिल हैं। इनमें बालाघाट को छोड़कर शेष सभी जिले पूर्व में मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका परियोजना में शामिल थे। यह परियोजना इसी वर्ष जून 2012 में सफलता से पूर्ण हो चुकी हैं।
परियोजना के जरिये अनुसूचित जनजाति बहुल उपरोक्त 9 जिलों के 2 लाख 83 हजार परिवार के जीवन में सार्थक बदलाव लाने में मदद मिली हैं। कार्यक्रम के बेहतर अमल के सुनियोजित प्रयासों को विभिन्न स्तर पर सराहा गया हैं। हाल ही में 20 नवम्बर, 2012 को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की राज्य स्तरीय सतर्कता एवं मूल्याकंन समिति की बैठक में इस कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीणों के आर्थिक, सामाजिक जीवन में आये बदलाव की सराहना की गई। इसी तरह गत 4 दिसम्बर को विभागीय परामर्शदात्री समिति में भी सदस्य विधायकों ने इस कार्यक्रम की सफलताओं को सराहा है।