भोपाल, जून 2013/ मध्यप्रदेश कृषि विकास के क्षेत्र में लगातार दूसरे वर्ष सिरमौर रहा है। प्रदेश में कृषि विकास दर में पिछले वर्ष की 18.9 प्रतिशत वृद्धि के बाद दूसरे ही वर्ष उस पर 13.33 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। देश के इतिहास में यह एक कीर्तिमान है। गत वर्ष 2012-13 में मध्यप्रदेश में 2 करोड़ 31 लाख 12 हजार मीट्रिक टन अनाज का उत्पादन हुआ। वर्ष 2011-12 में यह 2 करोड़ 3 लाख मीट्रिक टन था। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी राज्य ने कृषि विकास दर में 18.9 प्रतिशत वृद्धि हासिल करने के बाद अगले ही वर्ष उस पर 13.33 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल की है। कृषि विकास में मध्यप्रदेश ने इस बार हरियाणा को पीछे छोड़ दिया है।
अनाज उत्पादन में मध्यप्रदेश, पंजाब और उत्तरप्रदेश के बाद अब तीसरा राज्य बन गया है। देश में गत वर्ष हुए कुल 2553.62 लाख मीट्रिक टन अनाज उत्पादन में मध्यप्रदेश का योगदान 9.50 प्रतिशत रहा। प्रदेश ने बड़े राज्यों में कृषि विकास दर में अपनी सर्वोच्च स्थिति को लगातार कायम रखा है। वर्ष 2012-13 में कृषि विकास दर 13.33 प्रतिशत रही। चना और दलहन उत्पादन में मध्यप्रदेश देश में सबसे ऊपर है। वर्ष 2012-13 में प्रदेश में 31.99 लाख मीट्रिक टन चना और 46.89 लाख मीट्रिक टन दलहन का उत्पादन हुआ।
उपलब्धि के कारण
मध्यप्रदेश में अनाज उत्पादन के क्षेत्र में इतनी महत्वपूर्ण उपलब्धि राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में किये जा रहे निरंतर प्रयासों के फलस्वरूप हासिल की जा सकी है। किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर कृषि ऋण उपलब्ध करवाने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। पिछले साल शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर 10 हजार 800 करोड़ रुपये के कृषि ऋण किसानों को दिये गये। इस वर्ष 12 हजार करोड़ के ऋण देने का लक्ष्य है।
मध्यप्रदेश के कृषि विकास में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। प्रदेश में सिंचित क्षेत्र को सिर्फ 6 वर्ष की अवधि में 7 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 26 लाख हेक्टेयर किया गया है, जो एक कीर्तिमान है। किसानों को समय पर खाद और बीज उपलब्ध करवाया गया। शून्य प्रतिशत ब्याज पर खाद का अग्रिम भण्डारण करने की सुविधा दी गई, जिससे पिछले वर्ष किसानों को 300 करोड़ रुपये का फायदा हुआ।
मध्यप्रदेश में विगत 5 वर्ष में कृषि क्षेत्र का उल्लेखनीय विस्तार किया गया है। वर्ष 2008-09 में प्रदेश में 196.60 लाख हेक्टेयर में कृषि होती थी। कृषि का रकबा पिछले साल बढ़कर 223 लाख हेक्टेयर हो गया है। यह वृद्धि लगभग 27 लाख हेक्टेयर है।