भोपाल में भाजपा अपने बहुचर्चित कार्यकर्ता महाकुंभ को लेकर संतोष कर सकती है। जैसा कि अनुमान था पूरा आयोजन मध्‍यप्रदेश में शिवराजसिंह के नेतृत्‍व को और देश में नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व को स्‍थापित करने पर ही केंद्रित रहा। इस आयोजन में जुटी कार्यकर्ताओं की भीड़ ने शिवराजसिंह की संगठन क्षमता का पार्टी में स्‍थापित कर दिया है। पार्टी का शीर्ष नेतृतव बुधवार को भोपाल में था और कार्यकर्ताओं की उपस्थिति से लेकर आयोजन के बाकी सभी पक्षों को लेकर सभी नेताओं ने शिवराज की जमकर तारीफ की।

भाजपा के लिए सबसे बड़ी राहत की बात यह रही कि पिछले कई महीनों से जिन लालकृष्‍ण आडवाणी और नरेन्‍द्र मोदी के बीच तलवारें खिंची नजर आ रही थीं बुधवार का भोपाल में वे दोनों न सिर्फ मंच पर एक साथ थे बल्कि दोनों ने एक दूसरे की सराहना भी की। जिन आडवाणी ने कुछ माह पहले शिवराज को मोदी से बेहतर बताया था, उन्‍हीं आडवाणी ने गुजरात में मोदी के द्वारा किए गए कामों का जिक्र पहले करते हुए उनकी तारीफ की। बाद में शिवराज और रमनसिंह का नाम लिया। उधर मोदी ने मंच से आडवाणी को पार्टी के मार्गदर्शक और श्रद्धेय नेता के रूप में संबोधित किया।

इस आयोजन ने मोदी और शिवराज के बीच में दूरियों को लेकर कही जा रही बातों का भी माकूल जवाब दे दिया। शिवराज ने तो न सिर्फ अपने भाषण में मोदी को देश का भावी प्रधानमंत्री बताया बल्कि अपने भाषण के अंत में उन्‍होंने कार्यकर्ताओं को मध्‍यप्रदेश में अपनी सरकार को और केंद्र में मोदी को जिताने का संकल्‍प भी दिला दिया।

मूल रूप से कार्यकर्ता महाकुंभ शिवराज की जनआशीर्वाद यात्रा के भव्‍य समापन के रूप में प्‍लान किया गया था। उसमें शिवराज को ही केंद्र में रहना था। लेकिन बाद में कार्यक्रम के स्‍वरूप में हुए परिवर्तन के चलते इस आयोजन में मोदी की मौजूदगी से शिवराजसिंह का महत्‍व कम होने की बात की जाने लगी थी। लेकिन मोदी को लेकर कार्यकर्ताओं के उत्‍साह और नारेबाजी को छोड़ दें तो खुद मोदी सहित पार्टी के तमाम दिग्‍गज नेताओं ने शिवराज की जिस तरह से तारीफ की उससे साफ हो गया कि पार्टी मध्‍यप्रदेश में शिवराज के नेतृत्‍व को किसी भी तरह से कमजोर नहीं करना चाहती और न ही उस बारे में कोई दुविधा रखना चाहती है। मोदी ने तो अपना पूरा भाषण ही शिवराज पर केंद्रित रखा। उन्‍होंने अपनी जमीन तैयार करने के लिए केंद्र को कोसा जरूर लेकिन उसके लिए भी माध्‍यम मध्‍यप्रदेश को ही बनाया। अपने भाषण में सरदार सरोवर के गेट वाला उदाहरण देकर मोदी बड़ी चतुराई से बहुत सारी बातों को समेट ले गए।

कार्यक्रम के दौरान दो महत्‍वपूर्ण घटनाएं हुई। पहली घटना मोदी का आडवाणी के पैर छूना और आडवाणी का उस पर कोई प्रतिक्रिया न देने की थी। इससे प्रथम दृष्टि में ऐसा लगा कि खटास अभी दूर नहीं हुई है। लेकिन इसी मंच पर जब मोदी अपना भाषण खत्‍म करके लौटे तो राजनाथसिंह, आडवाणी और शिवराज तीनों ने न सिर्फ खड़े होकर उनका स्‍वागत किया बल्कि आडवाणी ने मोदी से हाथ मिलाकर उन्‍हें बधाई भी दी। मोदी ने भी उनके पैरों की ओर झुककर उनका आशीर्वाद लिया। इसके थोड़ी ही देर बाद मंच पर दोनों ने आमने सामने कुछ सेकंड बात भी की और इसी दौरान आडवाणी ने मोदी के कंधे पर हाथ भी रखा। ये घटनाएं बताती हैं कि कहीं न कहीं बर्फ पिघलने की शुरुआत हुई है। पार्टी के लिए कठिनाई का कारण बन गए इन दोनों नेताओं के रिश्‍तों में यह नरमाहट ही इस महाकुंभ की असली सफलता कही जा सकती है।

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