भोपाल, जनवरी 2013/ मध्यप्रदेश में वन विभाग के लिये वर्ष 2012 अनेक उपलब्धियों और नवाचारों का वर्ष रहा। जनवरी में देश के चौथे कार्बन फ्लक्स टॉवर के बैतूल जिले में लोकार्पण के साथ प्रदेश ने जलवायु संतुलन के उपायों में वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। वन क्षेत्रों में कार्बन के प्रभाव को मापने के लिये इसरो के सहयोग से इस परियोजना की स्थापना की गई है। विभाग द्वारा वर्ष 2011-12 के लिये निर्धारित 900 करोड़ के विरुद्ध 925 करोड़ का वन राजस्व प्राप्त हुआ।
वन विभाग की प्रबंधन प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिये अत्याधुनिक 5 जीआईएस बेस्ट वर्क-स्टेशन स्थापित किये गये। इनमें से 2 का उपयोग रिमोट सेंसिंग डाटा तथा 3 का जीआईएस डाटा के विश्लेषण में किया जा रहा है। इसी साल संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम परियोजना के अंतर्गत प्रदेश में भू-क्षरण रोकने के लिये परियोजना संचालित की गयी।
फारेस्ट सर्वे ऑफ इण्डिया द्वारा जारी प्रतिवेदन के अनुसार मध्यप्रदेश का वन आवरण 77 हजार 700 वर्ग किलोमीटर पर बरकरार है। यह वन आवरण देश में सर्वाधिक है। इस वर्ष विभाग ने 6 करोड़ 69 लाख पौध रोपण के लक्ष्य के विरूद्ध 7 करोड़ 01 लाख पौधों का रोपण किया।
मिले ढेर सारे अवार्ड
पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण के क्षेत्र में निरंतर किये जा रहे प्रयासों के फलस्वरूप वन विभाग को दिल्ली में ‘पेनासोनिक ग्रीन ग्लोबल अवार्ड’ और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ‘जीआईएस-एसडीआई अवार्ड’ मिला। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा कान्हा टाइगर रिजर्व को पूरे देश में सर्वोत्तम प्रबंध, पन्ना टाइगर रिजर्व को सर्वोत्तम नवाचार एवं सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को सर्वोत्तम विस्थापन कार्य के लिये 2 मई को नई दिल्ली में केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री द्वारा पुरस्कृत किया गया। ईको-पर्यटन विकास बोर्ड को उच्च गुणवत्ता प्रबंधन एवं कार्यों के लिये आईएसओ प्रमाण-पत्र भी मिला। मुख्यमंत्री द्वारा 10 जुलाई को वन विभाग को ‘‘मेप आई.टी. अवार्ड-2012’’ दिया गया। यह अवार्ड ई-गवर्नेंस सलूशन्स में जीआईएस के बेहतर उपयोग के ‘‘जियो फारेस्ट एप्लीकेशन्स’’ के लिये दिया गया।
तेन्दूपत्ता संग्राहकों का पारिश्रमिक 650 रुपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 750 प्रति मानक बोरा किया गया, जिससे 23 करोड़ की अतिरिक्त राशि संग्राहकों को प्राप्त हुई। राज्य शासन द्वारा बाँस के लाभ की शत-प्रतिशत राशि श्रमिकों को वितरित करने का निर्णय भी इसी साल लिया गया। पहले इनको बाँस के लाभ की मात्र 20 प्रतिशत राशि ही वितरित की जाती थी।
राष्ट्रीय उद्यान मनोरंजन कर से मुक्त
राष्ट्रीय उद्यानों को मनोरंजन कर से मुक्त करने का निर्णय अप्रैल में लिया गया। राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्यों में इस वर्ष लगभग 12 लाख पर्यटक आए जिनसे 15 करोड़ के राजस्व की प्राप्ति हुई। विभाग द्वारा वन-रक्षकों के 1384 पद के लिये चयन परीक्षा की गयी। मई माह में आरबीसी 6-4 के तहत वन्य-प्राणियों द्वारा फसल हानि पर राहत के प्रावधानों में संशोधन किया गया। अब वन्य-प्राणियों से होने वाली जन-हानि के लिये आश्रित सदस्य को डेढ़ लाख, स्थाई अपंगता की स्थिति में एक लाख और घायल होने पर 30 हजार रुपये दिये जा रहे हैं। इसी तरह इसी वर्ष व्यापारी, ठेकेदार तथा उपभोक्ता को 1000 रुपये और फर्नीचर के दुकानदार को 200 रुपये का वार्षिक पंजीयन शुल्क देना अनिवार्य किया गया।
ग्रीन इंडिया मिशन का शुभारंभ
वन मंत्री सरताज सिंह ने वर्ष 2012 में ही 5 जून को प्रदेश में राष्ट्रीय ग्रीन इण्डिया मिशन का शुभारंभ किया। मिशन के जरिये 46 हजार करोड़ रुपये की लागत से 50 लाख हेक्टेयर बिगड़े वन सुधार और 50 लाख हेक्टेयर वन आवरण विकसित किया जाएगा। वन समितियों के माध्यम से ग्राम-वासियों को लगभग 2000 मीट्रिक टन खाद उपलब्ध करवाने की पहल की गई। समिति सदस्यों को मक्का तथा ज्वार का प्रमाणीकृत बीज भी उपलब्ध करवाया गया। संयुक्त वन प्रबंध समिति सदस्यों तथा वन ग्राम-वासियों को 2,322 किसान क्रेडिट-कार्ड मुहैया करवाये गये। सितम्बर से कौशल संवर्धन विकास कार्यक्रम में वन विभाग भी शामिल हुआ। कार्यक्रम के अंतर्गत वन समितियों के माध्यम से कौशल विकास के लिये 5314 व्यक्ति चिन्हित किये गये जिसमें 592 महिलाएँ शामिल हैं।
भोपाल में नवंबर 2012 में अंतर्राष्ट्रीय वन मेले का आयोजन हुआ, जिसमें 6 देश और 16 प्रदेश के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। मेले के क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में लगभग 376 लाख रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। वन संरक्षण के लिए प्रदेश में 319 वन चौकियों में गश्ती दलों को 3157 बन्दूकें प्रदाय की गईं। संचार व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए 4266 वायरलेस सेट, 5500 मोबाईल सिम, 2946 मोबाइल हेण्डसेट, 900 पी.डी.ए. और 900 दूरबीनें प्रदाय की गईं।