भोपाल, दिसंबर 2012/ मध्यप्रदेश में आयुर्वेद को बढ़ावा देने और इसके विस्तार के लिये मध्यप्रदेश आयुर्वेद सलाहकार मंडल का गठन किया जायेगा। यह मंडल आयुर्वेद को वैज्ञानिक रूप से आगे बढ़ाने, इसे आम लोगों के लिये व्यावहारिक बनाने और शोध संबंधी योजनाओं के संबंध में राज्य सरकार को सलाह देगा। बोर्ड में विशेषज्ञों को शामिल किया जायेगा। आयुर्वेद दवा निर्माण कंपनियों के लिये नई आयुर्वेदिक दवा उद्योग नीति बनाई जायेगी। ‘‘संपूर्ण स्वास्थ्य सबके लिये’’ कार्ययोजना में आयुर्वेद को भी शामिल किया जायेगा। पण्डित खुशीलाल शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय को आयुर्वेद में शोध के लिये उत्कृष्ट संस्थान बनाया जायेगा। मुख्यमंत्री ने यह घोषणाएँ यहाँ लाल परेड ग्राउंड में पंचम विश्व आयुर्वेद सम्मेलन एवं एक्सपो-2012 के समापन सत्र में की। विश्व आयुर्वेद सम्मेलन में विभिन्न देशों के 4 हजार प्रतिनिधियों ने भाग लिया और तीन लाख लोगों ने एक्सपो का भ्रमण किया।

आयुर्वेद को बढ़ावा देने और आम लोगों में इसके प्रयोग को प्रोत्साहित करने का संकल्प दोहराते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जिलों में होने वाले स्वास्थ्य परीक्षण शिविरों में आयुर्वेद चिकित्सा के लिये भी केम्प लगाये जाएँगे। राज्य सरकार मध्यप्रदेश को आयुर्वेद की प्रयोगशाला बनाना चाहती है। जल्दी ही आयुर्वेद चिकित्सकों की भर्ती की जायेगी। जिला अस्पतालों में आयुर्वेद चिकित्सक बैठेंगे। आयुर्वेद महाविद्यालयों की स्टाफ एवं अधोसंरचना संबंधी व्यवस्थाएँ सुदृढ़ बनायी जायेगी। आयुर्वेद में डिग्री शुरू करने की पहल की जाएगी। इसके लिये बजट की कमी नहीं आने दी जायेगी। उन्होंने पंचकर्म चिकित्सा के लिये कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये। कहा कि आयुर्वेद में गंभीर रोगों के उपचार की क्षमता है, जरूरत अनुसंधान को बढ़ावा देने और इस पद्धति में श्रद्धा रखने की है।

विज्ञान भारती के श्री सुरेश सोनी ने कहा कि आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिये आहार-विहार के संबंध में जन-चेतना बढ़ाने की जरूरत है। जीवन शैली बदलने की जरूरत है। मानव, प्रकृति और पर्यावरण के संबंधों को नई दृष्टि के साथ समझना होगा। भारत के पास संपूर्ण स्वास्थ्य की दृष्टि विश्व कल्याणकारी है। भारत को आयुर्वेद मिशन चलाना होगा। आयुर्वेद की आधार-स्त्रोत वन-संपदा को बचाने के लिये भी जन-अभियान चलाने की आवश्यकता है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में दृढ़ विश्वास ही इसे आगे बढ़ायेगा। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को स्थापित करने में मध्यप्रदेश पूरे देश में उदाहरण बनेगा। पर्यावरण मंत्री जयंत मलैया ने कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के प्रति युवाओं के रुझान को देखते हुए यह स्पष्ट हो गया है कि शीघ्र ही आयुर्वेद का विश्व-पटल पर विस्तार होगा।

आयुष राज्य मंत्री महेन्द्र हार्डिया ने कहा कि आयुर्वेद के ज्ञान को आपस में बाँटने के लिये कार्यशालाओं की श्रंखला आयोजित की जायेगी। उन्होंने सम्मेलन के आयोजन को मील का पत्थर बताते हुए कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में हो रहे अनुसंधानों का लाभ लोगों तक पहुँचाने के लिये सुनियोजित प्रयास किये जाएँगे।

सुपर कम्प्यूटर बनाने वाले विज्ञान भारती के अध्यक्ष डॉ. भाटकर ने कहा कि विज्ञान का लाभ गरीब लोगों तक पहुँचना चाहिए। उन्होंने सम्मेलन की सराहना करते हुए कहा कि यह आयुर्वेद के पुनरोत्थान में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को लोक स्वास्थ्य की प्रमुख चिकित्सा पद्धति के रूप में अपनाने की आवश्यकता है क्योंकि यह मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य एक साथ प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा को जन-मानस के बीच लोकप्रिय बनाने के लिये मध्यप्रदेश को प्रमुख भूमिका निभाना चाहिए।

विज्ञान भारती के महामंत्री डॉ. ए. जयकुमार ने कहा कि आयुर्वेद एक परम सत्य है। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार को विश्व स्तरीय आयुर्वेद सम्मेलन के लिये धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर प्रदर्शनी में विभिन्न आयुर्वेद दवा निर्माताओं कंपनियों, संस्थाओं द्वारा लगाये गये स्टॉलों को सजावट और प्रस्तुतिकरण के आधार पर पहला, दूसरा एवं तीसरा पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा पाँच उत्कृष्ट पोस्टर को भी पुरस्कृत किया गया। सर्वश्रेष्ठ स्टॉल में पहला पुरस्कार सोलोमिक्स न्यूट्रोस्युटिकल्स, यूनीज्यूलस लाइफसांइसेस को दूसरा, देविका हर्बल को तीसरा और विंध्या हर्बल्स को सांत्वना पुरस्कार दिया गया।

प्रारंभ में मुख्यमंत्री ने आयुर्वेद के विभिन्न आयाम को दर्शाने वाली प्रदर्शनी, आयुर्वेदिक दवा कंपनियों के स्टॉल और आयुर्वेद चिकित्सा केम्प का अवलोकन किया। विदेशी प्रतिभागियों को भी स्मृति-चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

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