मनोज खांडेकर

आपकी यदि क्रिकेट में थोड़ी भी बहुत दिलचस्पी हो तो आपको करीब 40 साल पीछे लेकर चलता हूं। उस वक्त क्रिकेट की दुनिया में कैरिबियाई खिलाड़ियों की तूती बोलती थी। बल्ले से लेकर गेंद तक हर तरफ उनके जैसा कोई नहीं था। अख़बारी भाषा में कहें तो वह आतंक का दूसरा नाम थे। विवियन रिचर्ड्स जब च्यूइंगम चबाते हुए बल्लेबाजी करने के लिए आते थे तो विरोधी गेंदबाज उनके पास दंडवत की मुद्रा में नजर आते थे। याद है MS DHONI THE UNTOLD STORY। उसमें एक सीन में युवा युवराज बाइक से निकलता है और धोनी एंड टीम उसे देखकर ही मैच हार जाती है। रियल लाइफ में ऐसा ही रुतबा कैरिबियाई टीम का था।

जोएल गार्नर, एंडी रॉबर्ट्स, माइकल होल्डिंग या फिर मेल्कम मार्शल। माइक गेटिंग की टूटी नाक हो या जमैका में भारतीय बल्लेबाजों के लहूलुहान होकर खून से सनी पिच हो। क्रिकेट के करीब 90 बरस के इतिहास में कभी भी किसी टीम का इतना दबदबा रहा। सुनील गावस्कर, बायकॉट, लारा, सचिन, पोटिंग जैसे कितने ‘न भूतो न भविष्य’ जैसे खिलाड़ी हुए हैं, लेकिन जब बात टीम की होती है तो वेस्टइंडीज टीम ने 70 और 80 के दशक में जो किया, उसके लिए कालिया फिल्म में अमिताभ बच्चन का यह डायलॉग परफेक्ट है, ‘हम जहां से खड़े होते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है।’

खैर, इतनी बड़ी भूमिका बांधने के पीछे वजह यह है कि इंदौर ने सफलता का सिक्सर लगा दिया है। पिछले साल जब हम पांचवीं बार सरताज बने थे तब भी यह ख्याल आया था, लेकिन उस वक्त नहीं लिखा। आज लगा कि लिखना चाहिए, क्योंकि आज हमको कैरिबियाई टीम या कालिया के अमिताभ बच्चन बनने की जरूरत हैं। साल दर साल हम कब तक जीत की खुशियां मनाते रहेंगे? मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि अब हमको हमारे विवियन रिचर्ड्स, क्लाइव लॉयड या जोएल गार्नर गढ़ने की बारी है। हमारे मॉडल को दुनिया को बताने की जरुरत है।

अब हमारे लिए सबसे स्वच्छ शहर का तमगा जीतना बेमानी हो गया है। हमारी टक्कर में कोई नहीं है। ऐसे में अब अहम हो जाता है कि दुनिया को बताए कि ‘हमारी ताकत क्या है’, हम दुनिया को बताए कि शहर को सबसे सुंदर रखने के पीछे के सितारे कौन हैं। अब शहर के बाद इसे दुनिया की पटल पर चमकाने वालों के नाम हर किसी की जुबां पर होने की बारी है। इंदौर के लोगों को पता है। मध्य प्रदेश में कुछ लोगों को पता होगा, लेकिन अब हमको दुनिया को बताना होगा। जिस तरह 40 साल बाद भी कपिल देव को विवियन रिचर्ड्स का कैच लपकने के लिए लंबे-लंबे डग भरते हम रोमांचित हो जाते हैं, वैसे ही अब इस मॉडल से दुनिया को रोमांचित करने का वक्त आ गया है।

शहर रोल मॉडल है, अब इसे ऐसा बनाने वालों को रोल मॉडल बनाने की दरकार है। हम चाहें तो IIM की मदद ले सकते है, क्योंकि बात केवल रोज शहर साफ होता है या फिर रंगपंचमी के बाद चंद घंटों में शहर की खूबसूरती लौट आने तक सीमित नहीं है। अब बात अवॉर्ड से आगे बढ़ने और एक मॉडल पेश करने की जरुरत है। अभी भी देश के सबसे स्वच्छ शहर के बारे में हमारी बात होती है, लेकिन अब बात हमारे मॉडल को जानने की है। जिस तरह गुजरात पैटर्न का जिक्र होता है अब हमें ‘इंदौरी पैटर्न’ को फेमस करने की दरकार है।

बात क्रिकेट से शुरू की थी तो आखिर में बात भी क्रिकेट में। यदि आप इंदौरी क्रिकेट के बारे में जानते होंगे तो पिछली सदी के आखिर में इंदौर में भी एक ‘कैरेबियन’ टीम हुआ करती थी। रामबाग के 10 नंबर स्कूल के पीछे टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलने वाली टीम का नाइट क्रिकेट टूर्नामेंट में एकतरफा जलवा होता था। कोई भी टीम हो उसके सामने बेबस थी। इंदौर के अलावा अब देश के कई शहरों में उसकी तूती बोलती थी। अब इंदौर को सफाई में चैंपियन बनाने वाली टीम को ‘कैरिबियन’ टीम जैसी ख्याति दिलाने की बारी है, जिससे इंदौर मॉडल कैरिबियन क्रिकेट जैसा बना दें।

मुकद्दर का सिकंदर में कादर खान ने अमिताभ बच्चन के लिए लिखा था, “गोवर्धन सेठ समंदर में तैरने वाले कुओं और तालाबों में डुबकी नहीं लगाया करते।” अब हमको समंदर में तैरना होना।

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